कहाँ गयी वो तेरी कसमें वो मुहब्बत की सब रस्में,
वो इश्के जुनूँ की बातें वो चुपके छुपके की मुलाकातें.
वो साथ में मरने के वादे वो सात जनम संग जीने के इरादे,
जाने से पहले इक पल तो सोचती तेरे बिन रह जायेंगे आधे.
हर चाहत को छोड़ के चली तुम हर रस्म भी तोड़ दी तुमने,
छितरा छितरा टूटे ख्वाब मेरे जिन्दगी जहां मोड़ दी तुमने.
बस जी रहा हूँ किसी तरह से वर्ना जीने की आस छोड़ दी मैंने,
कमबख्त साँसे अभी भी चालू हैं शायद कुछ और भी दर्द है सहने.