जो हमारे सगे ही न बन सके वो हमसे वफ़ा भी क्या करते,
मौका देख के बदल जाये जो हम उसका ऐतबार क्या करते.
यूं तो कहते भी थे की अब वो हम ही से हैं मुहब्बत करते,
धोखा देकर गया जो इक बार दुबारा उसे हम प्यार क्या करते.
सिर्फ रंग बदल देने से जिन्दगी कहाँ बदला करती है मेरे यार,
बात मान के आज तेरी अपने दिल से हम क्या इन्साफ करते.
माना की तुम आज लौट आने की बात करते हो,
पर क्या पता फिर कब तक तुम साथ चलते हो.
कौन जाने किस मोड़ पे तुम्हारा मन बदल जाए,
ना जाने कब आँखों से मेरी ख्वाब भी फिसल जाये.
Bahot achha likha aapne
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thank you ji
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बहुत धन्यवाद
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