तेरी आँखों की ये गुस्ताखियाँ मुझे अपने पास बुलाती हैं,
महफ़िल में भी हूँ अगर तो भी तेरी ही तो याद दिलाती हैं.
तुम हो धडकनों में समायी बस यही तो अहसास करवाती हैं,
तेरी आँखे ही तो मुझे तेरे भी दिल का हाल बतलाती हैं.
अगर तुम्हे बाँहों में खीचूं तो बड़े प्यार से शर्मा जाती हैं,
कहीं दूर चला जाऊं तो यही देखने को भी तरस जाती हैं.
तेरी आँखे ही तो हैं जो खुद में मेरा वजूद मुझे दिखाती हैं,
ना रोको खुद को अब तुम आँखों से ही तो मुहब्बत शुरू की जाती है.
©100rb_delhi
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तेरी आँखों की ये गुस्ताखियाँ मुझे अपने पास बुलाती हैं,
महफ़िल में भी हूँ अगर तो भी तेरी ही तो याद दिलाती हैं।
क्या बात—काबिलेतारीफ👌👌
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जी बहुत बहुत शुक्रिया मधुसुदन जी
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