ऐ दिल तू सिर्फ उसके जाने से क्यों रोता है !
अकेला नहीं तू ही सबके साथ यही तो होता है !!
मेरी धडकनों को बढाकर क्यूँ तू परेशां होता है !
गया जो दिल से उसे अब चाहने से क्या होता है !!
मजबूरी रही होगी उसकी कुछ वरना कौन बेवफा होता है !
समझा ले युही खुद को तू वरना बिन साँसे कौन सोता है !!
मुहब्बत शायद अब नाम है वरना कौन किसी का होता है !
अभी वक़्त है संभल जा तू क्यूँ गुमनामी में जाकर खोता है !!
खुदा माना था उसे सो होता तो वही जो मंजूरे खुदा होता है !
गलती थी वो आसमां का रहने वाला धरती पे कहाँ होता है !!
©100rb
मजबूरी रही होगी उसकी कुछ वरना कौन बेवफा होता है !
समझा ले युही खुद को तू वरना बिन साँसे कौन सोता है ..जबर्दस्त👌👌👌👌
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Thanks madhusudan ji
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