मेरे अजीज पाठक मित्रो कैसे हो आप सभी , आशा करता हूँ आप सभी कुशल मंगल होंगे ! ये कविता मेरे प्रकृति प्रेम को समर्पित है! इसकी विषय वस्तु भी वैश्विक है ! ये एक सन्देश है पर्यावरण सुधार के लिए , एक अपील है बस सभी से की इसे आप पढ़ें, खुद भी अपनाएं व लाइक करने के साथ इसे व्यक्तिगत रचना की तरह न देखे अपितु इस सन्देश को फैलाने में शेयर करके मुझे सहयोग दें !एक साँझा सहयोग पूरी धरा को समर्पित ………
बरखा की फुहारों ने खूब समां बना दिया !
सूखी जमीं को अपने स्पर्श से लहला दिया !!
जो झुलस रहे थे पंछी आसमां में कही !
उन सबका भी जीवन इसने बचा दिया !!
बरस के रिमझिम माटी को महका दिया !
बच्चे बूढ़े जवान सबको ही तो चहका दिया !!
देर से सही पर ये तो खुशिया देने आ ही गयी !
ऐ इंसा तू कब आएगा कब इससे रिश्ता निभाएगा !!
कब अपनी माँ जमीं के लिए तू कुछ कर पायेगा !
ये प्राण वायु तुझे देती है तू क्या देना इसे चाहेगा !!
बस इतना सा तू कर ले हर बरखा 2 पेड़ लगाएगा !
पालेगा पोसेगा उन्हें और इस धरा पे स्वर्ग बनाएगा !!
खुद जीएगा शुद्ध हवा में शुद्ध वातावरण आगे दे जायेगा !
आओ इसी बरखा का जल लेकर शुद्ध कसम खाते है !!
हम सब वृक्षारोपण कर धरती को शुद्ध बनाते हैं !!!!
©100rb
Thanks for your likes n for your interest in growing pure environment.
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