भोले बाबा बड़े निराले जटा में गंग संभाले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
पीकर वो तो भंग के प्याले मुस्काये मतवाले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
माथे पे हैं चन्द्र विराजे गले में सर्प को डाले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
हाथों में वो पकड़ के डमरू तांडव करे निराले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
पीकर वो तो जहर के प्याले बने सब के रखवाले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
काया पर वो भस्म रमा के करते काम निराले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
भक्तों के सब काम बनाते सब कुछ देने वाले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
पार्वती के प्रीतम प्यारे हैं तीनो लोक संभाले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
सदा ध्यान में डूबे रहते योगी बड़े निराले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
घुटने पर हैं गणेश बिठाये पहिने मृग की छालें !
कैलाश पे बैठे हैं !!
भूत प्रेत भी भरे हाजिरी अनहोनी को टालें !
कैलाश पे बैठे हैं !!
हम पर भी अब कर दो कृपा तुम हो तारन वाले !
कैलाश पे बैठे हैं !!
©100rb
शिव की भक्ति और सावन की मस्ती सभी को शुभ हो इस शुभ प्रभात में
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Nice Poetry!
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thank you bro vaise ye ek bhajan likha hai maine jise kuch dino baad sound ke sath upload karoonga dear.
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Would love to hear that……….:-)
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thanks
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Bahut khubsurat bhajan hai. Par bhole बाघम्बर पहनते हैं मृग छाला नहीं।
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Ji aapne sahi kaha lekin samadhi sath asan bhi pahanave sa hi mayne hai ji
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Shiv ji ki aek Aek baat achi tarah se bhajan me dhali hai.
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Ji shukriya tahedil , vo adbhud hai maine to chhoti si koshish ki hai
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