वो जिस्मों को हमें मुहब्बत बता बैठे !!
हम रेत पर महल का ख्वाब सजा बैठे !
शायद इकतरफा दिल उनसे लगा बैठे !!
उन्होंने समझने की कोशिश भी ना की !
हम अपना सब कुछ उस पर लुटा बैठे !!
बानगी तो देखिये उनके प्रेम की !
वो जिस्मों को हमें मुहब्बत बता बैठे !!
कैसे समझा पाते हम उसे प्यार अपना !
वो किसी और से दिल जो लगा बैठे !!
©100rb
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Published by 100rb (realoveforever)
"kuch najar nahi aata ek uske sivay"
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ऐसा करने के लिए मेरी पूर्व सहमती अनिवार्य है !
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बिलकुल सही बात है , दिल की बात बयान करती पंक्तियों –
बानगी तो देखिये उनके प्रेम की !
वो जिस्मों को हमें मुहब्बत बता बैठे !!
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आपका धन्यवाद जी
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😊😊
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बानगी तो देखिये उनके प्रेम की !
वो जिस्मों को हमें मुहब्बत बता बैठे !!
कैसे समझा पाते हम उसे प्यार अपना !
वो किसी और से दिल जो लगा बैठे !!
kyaa khub likha hai…….lajwaab……bhawnaao ko byakt karti shandaar kriti.
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धन्यवाद मधुसुदन जी
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बहुत ही सुंदर विचार है आपके। यह आजकी सच्चाई है कि लोग देह की भुख को भी प्रेम का नाम देते हैं और अक्सर ऐसे लोगों से ही प्रेम हो जाता हैं जिनके लिए इसके कोई मायने नहीं होते।
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Thank you ji
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आपका स्वागत है।
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