मेरा दिल पत्थर का भी तो नहीं

मेरा दिल पत्थर का भी तो नहीं वरना मैं तेरे साथ चलता,

मैं दीपक भी तो नहीं हूँ वरना रात भर चुपचाप मैं जलता.

इस टूटे दिल को बहुत मुश्किलों से संभाला है मैंने यार,

बस अब तुम जाओ मुझे किसी से भी नहीं करना प्यार.

अब नहीं लगता कुछ भी अच्छा हम तो बस युही जी लेंगे,

बाँट तो सकते नहीं अपना गम उसे हम खुद ही पी लेंगे.

अरे आप बसाओ दुनियाँ नयी हम तो युहीं तनहा जी लेंगे,

आप रहिये खुशियों के उजालो में हम अपने जख्म अंधेरो में ही सी लेंगे.

©100rb

3 thoughts on “मेरा दिल पत्थर का भी तो नहीं

  1. Madhusudan says:

    अरे आप बसाओ दुनियाँ नयी हम तो युहीं तनहा जी लेंगे,

    आप रहिये खुशियों के उजालो में हम अपने जख्म अंधेरो में ही सी लेंगे—प्रेम की जबरदस्त परिभाषा।👌👌👌

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